आज भारत की आजादी को 71 साल होने को है तब वर्तमान देशवासियों के लिए यह कल्पना भी कर पाना मुश्किल होगा कि सन 1947 का भारत कैसा था तो चलिए आज हम उससे पर्दा उठाते हैं और जानते हैं कि तब भारत के दशा क्या थी |
साक्षरता की बात करें तो आजादी के वक्त पूरे अखंड भारत में सिर्फ 12% लोग ही पढ़ और लिख सकते थे | पूरे देश में कुल 5000 हाई स्कूल थे 600 कॉलेज और 25 यूनिवर्सिटी थी | तो आइये थोड़ा सलीके से मुद्दे के मुताबिक समझते हैं | 1947 में भारतीय रेलवे 16 अप्रैल 1853 के दिन भारत में पहली बार मुंबई के बोरीबंदर से ठाणे के बीच बीच 20 डब्बो वाली ट्रेन चली | इस सफर में महज 33 किलोमीटर के अंतर को काटने के लिए तीन तीन इंजन लगाए हुए थे | फिर भी सफर को तय करने में ट्रेन को पूरे 75 मिनट लगे | धीरे-धीरे तकनीकी सुधार होते रहे और जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए तब पाकिस्तान और बांग्लादेश को मिलाकर पूरे देश की रेलवे लाइन 65185 किलोमीटर लंबी थी | देश की पूरी रेल व्यवस्था देसी रजवाड़ों और प्राइवेट कंपनियों में बटी हुई थी | जिसे आजादी के तुरंत बाद भारतीय सरकार ने अपने कंट्रोल में लेना शुरू कर दिया |
किराए की बात करें तो पाई से लेकर कुछ आने था | 1947 के मुंबई में कुल 204 ट्रेनें दौड़ती थी | मुंबई शहर की आबादी तब 1600000 हुआ करती थी | पर उस वक्त मुंबई की सीमा सिर्फ अंधेरी तक की थी | अंधेरी के बाद का इलाका जोगेश्वरी आउट ऑफ मुंबई में गिना जाता था | सन 1947 में भारतीय मोटर गाड़ी सन 47 तक भारत में हिंदुस्तान मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी गाड़ियों का जमाना आ चुका था | यातायात की बात करें तो ओपन डबल डेकर और सिंगल देकर जैसे ही बसें दौड़ती थी किराया तब कुछ चार आने की आस पास था और पेट्रोल के दाम 41 पैसे प्रति लीटर थे सन् 1928 में अमेरिकन कंपनी जनरल मोटर्स का भारत में आगमन हुआ था | जनरल मोटर्स केशेवरलै ट्रक भारत में बहुत चलते थे |
लेकिन आजादी के बाद ही 1948 में भारत सरकार ने जनरल मोटर्स कंपनी की छुट्टी कर दी क्योंकि जनरल मोटर्स हमारी देसी मोटर कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स को कड़ी चुनौती दे आई थी | लेकिन इतिहास ने अपने आप को फिर दोहराया 50 साल बाद हिंदुस्तान मोटर्स ने ओपन कार बनाने के लिए उसी जनरल मोटर्स के साथ मिलकर वडोदरा के पास फैक्ट्री डाली |
1947 भारतीय विमान : - आपको ताज्जुब होगा कि 1947 में भारत में इंडियन नेशनल एयरवेज,मिश्री एयरवेज,अंबिका एयरवेज,कॉलिंग एयरवेज,डेक्कन एयरवेज एयर सर्विस ऑफ इंडिया,भारत एयरवेज,हिमालय एरवीशन ,डालमिया जेट एयरवेज,जुपिटर एयरवेज जैसी एरवीशन कंपनियां थी | भारत देश में उस वक्त इतनी सारी विमान सेवाएं होने का कारण यह कि 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका ने अपने कई सारे हवाई जहाज बेच दिए थे | कुछ धनि भारतीयों ने खरीद कर एयरलाइंस का बिजनेस शुरू कर दिया | कंपटीशन इतनी तकलीफ हुई कि ज्यादातर एयरलाइंस घाटे में आ गई कुछ 8 एयरलाइंस का भारत सरकार ने राष्ट्रीयकरण करके एक नाम दिया | जिसका नाम था इंडियन एयरलाइंस और टाटा रिलायंस का तो नाम पहले से ही एयर इंडिया कर दिया गया था | 15 अगस्त 1947 के दिन भारत में कुल 15 एयरपोर्ट थे |
1947 में भारतीय मुद्रा :- आजादी के वक्त भारत की करेंसी रुपया ही थी पर आजकल सोशल मीडिया पर बताए जाने वाले उसके रेट सही नहीं है | सोशल मीडिया पर आमतौर पर यह मैसेज वायरल होते हैं कितना भारत का ₹1 $1 के बराबर था | लेकिन वास्तव में सन 1947 में $1 बराबर 3.30 इंडियन रूपीस था | और एक पाउंड बराबर 30.33 इंडियन रुपीस | बेशक रूपया तक आज की रैली के मुकाबले बहुत मजबूत था | बंटवारे के दूसरे ही दिन पाकिस्तान के सामने यह प्रश्न था कि वह अपने देश में आर्थिक व्यवहार किस मुद्रा में करें | क्योंकि तब नोट छापने की छह प्रिंटिंग मशीन थी | छह की छह भारत की थी इसलिए पाकिस्तान में परमिशन लेकर उसी नोट पर पाकिस्तान हुकूमत लिखकर अपना काम चलाया |
सन 1947 में चीजों के दाम:- उस समय अच्छी क्वालिटी के 1 किलो चावल 26 पैसो में मिलते थे | शक्कर 57 पैसे किलो थी | केरोसिन 23 पैसे लीटर और 55 किलो सीमेंट सिर्फ ₹3 में मिलती थी | तब एक तोला गोल्ड की कीमत ₹103 थी | वैसे गोल्ड की कीमत भी सबसे पहले 39 इंडियन रुपीस थी | लेकिन विशेष के बाद उसे अचानक बढ़ा दिया गया इसलिए यह कीमत उस वक्त के लोगों को बहुत अधिक लग रही थी | और लगती भी क्यों ना तब लोगों की आय भी तो बहुत कम थी | उस वक्त भारतीयों की एवरेज इनकम सालाना ₹265 थी | इतनी कम इन कम होने के कारण ज्यादातर लोग महंगाई कम होने के बावजूद भी उसने मजे नहीं ले सकते थे | आज के दौर में हम अधिक महंगाई में भी मजे मार रहे हैं टेक्नोलॉजी क्षेत्र में वॉशिंग मशीन,मिकचर,घरेलू फ्रिज,कंप्यूटर,मोबाइल,इंटरनेट,टेप रिकॉर्डर जैसे 160 किस्म के जीवन जरुरी आविष्कार उस वक्त ना होने के कारण उस समय की जीवन शैली आज के दौर से बहुत निम्न थी |
1947 में भारतीय सिनेमा:- आजादी के साथ ही भारतीय परिषद में कुल 283 टीमें बनाई थी | एक फ़िल्म डेढ़ लाख रुपए के खर्च से बनी थी | बंटवारे के बाद भारत में कोई थिएटर की संख्या 1384 थी | जबकि अलग से पाकिस्तान में कुल 117 थिएटर थे | तो दोस्तों हमारे पुरखो द्वारा बिताई गई उस दौर की बातें आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं |